भूतकाल,भविष्य, वर्तमानकाल,ये अलग अलग अवस्था को दर्शाते है!बीता हुआ कल या आनेवाला पल दोनों ही वर्तमान काल है इन दोनों का आधार ही वर्तमान समय है!
मनुष्य का मन बीते हुए कल को भी वर्तमान में जीने की कोसिस करता रहता है!इसी लिए वो दुखी रहता है अथवा भविष्य की चिंता में मग्न रहता है!यदि आप बीते हुए कल को वर्तमान में बार बार लाकर सोचते रहते है तो आप बीते कल को फिर से जीने की कोशिस करते है!भूतकाल यानि जो मर चूका है उसे बार बार जीवित करने में लगे रहते है !
इस पल में आप कहा है भूतकाल में या भविष्य काल में
भविष्य काल तो ठीक है भूत काल में रहना सर्वथा अनुचित है जब हम भविष्य के खयालो में खोये होते है या किसी रचनात्मक कल्पना में डूबे होते है तो हम भविष्य काल में होते है!और जब बीते हुए कल को सोचते है तो हम भूतकाल में जी रहे होते है!
वर्तमान में ही रहना और अपने वर्तमान को ठीक करते जाना ही हमारा भविष्य काल होता है!वर्तमान काल ही शक्तिशाली व्यवस्था है वर्तमान के व्यवस्थित होते ही हमारा भविष्य भी व्यवस्थित होने लगता है अपने मन को पूर्णतया अपने वर्तमान समय पर केंद्रति करे! वर्तमान ही भविष्य होता है
जब आप अपने मन को वर्तमान समय में केंद्रित कर लेते है तो आपकी भीतरी ऊर्जा सही दिशा की तरफ बढ़ जाती है आपकी सफलताएं बहुत आसान और आपके बहुत नजदीक हो जाती है!अपने भविष्य के चित्र को हमेशा साफ़ और स्वच्छ बनाये रखे!ध्यान रखे की यदि आप भविष्य के चित्र में बार बार बदलाव करते रहेंगे तो वह ख़राब होता जायेगा एक चित्र बनाये जब तक वो साकार ना हो जाय तब तक कोई दूसरा चित्र ना चित्रित करें!
इस समस्त सृस्टि की रचना एक साफ चित्र के माध्यम से प्रकट है किसी को सायेद ये विश्वास न हो की समस्त सृस्टि मात्र एक गहनतम भाव है! एक चित्र है!समस्त भाव ही प्रत्येक घटना का कारण है!अवचेतन शक्ति वर्तमान की विराट अवस्था है वो जो नहीं है किन्तु वर्तमान है और हर जगह वो ना होते हुए भी मौजूद रहता है !
मनुष्य को अपने भविष्य को वर्तमान में ही देखना चाहिए ऐसा जैसे वो अभी मौजूद है साकार है तथा वर्तमान में सिर्फ वही सत्य है बाकि सब असत्य है मन जिसे सत्य मानता है वही सत्य के रूप में घटित हो जाता है सृस्टि बहुत सरल और सहज है ये कठिन तभी तक है जब तक हम इसके प्रति स्वयं कठिन बने रहते है !
वर्तमान पल ही अत्यधिक सक्तिशाली तथा सुप्रीम पल होता है जो मानसिक सयोग होने पर घटनाओ को तुरंत सामने प्रकट कर देता है ये जादू की तरह कार्य करता है क्योकि वर्तमान पल से बड़ा कोई और समय ही नहीं!
अपने भीतर प्राप्ति का भाव बनाकर रखे जो आप चाहते है उसे अपनी पांचो इन्द्रियों से लगातार महसूस करते रहे क्योकि आपको जो चाहिए बस वही चाहिए
आप पवित्र रास्तो का चुनाव करे क्योकि यह हर पल आपके पास मौजूद है!कीचड़ भरे रास्ते दलदल युक्त होते है आप उस रास्ते पर बहुत जल्दी डूब सकते है जीवन वर्तमान में होता है सारे क्रिया कलाप हमेसा वर्तमान में होते है अगले पल वो सारे भूतकाल में समाहित हो जाे है भविष्य कभी आता ही नहीं बस समय गुजरता चला जाता है हम जिसे भविष्य कहते है वो दरअसल बदलाव का एक संकेत होता है और कुछ नहीं !
जब कही एक शिशु जन्म लेता है तो उसी वक़्त कही न कही किसी वृद्ध व्यक्ति का स्वर्गवास भी होता है एक तरफ जीवन शुरू होता होता है तो दूसरी तरफ एक जीवन ख़त्म हो रहा होता है और ये सब बस एक ही समय वर्तमान में हो रहा होता है जरा सोचिये शिशु के आगे भविष्य काल है और वृद्ध के सामने भूतकाल बस उसी एक ही समय में!
सारी सफलताएं , असफलताएं वर्तमान में ही दबी होती है
अपने वर्तमान में ही उन्हें हम पाते भी है अपने भीतर के आनंद कोष में जाइये वहां ईस्वरीय चित्त मौजूद है यदि आप हमेसा खुश रहते है तो आप ईस्वरीय चेतना के साथ वर्तमान में अवस्थित होते है कोई भी परस्थिति आपका कुछ बिगाड़ नहीं पायेगी क्योकि बहुत जल्द ही सब ठीक हो जायेगा
भीतरी आनंद और खुशी बाहर की तरफ फैलती है ठीक इसी तरह भीतरी कस्ट दुःख परेशानिया भी बाहर की और अपने पंख पसारते है और सामाजिक रूप से इंसान की छवि की रचना करते है
इस संसार में हर क्रिया की समान और विपरीत प्रक्रिया होती है जीवन में सफलता उस विषय में ध्यान देने से मिलती है यानि फोकस करने से, और उस विषय पर ध्यान आप तभी दे सकते है जब आप पूरी तरह से अपने वर्तमान में मौजूद हो!ध्यान एक आध्यात्मिक मानसिक शक्ति है जो बहुत तेज असर दिखाती है यदि आपका मन बहुत अधिक चलायमान है तो मैडीटीशन करे आपका मन केंद्रित होने लगेगा और आप वर्तमान की शक्ति को समझ पाएंगे!
मनुष्य के भीतर ही सब कुछ है चाहे वो ईस्वर हो ,या किसी प्रकार की कोई विशेष सफलता हो,भीतरी कपाट को खोलते ही बाहर के सारे दरवाजे खुल जाते है रोशनी जल उठती है अँधेरा दूर हो जाता है ये तब होता है जब आप अपने पुरे जीवन ऊर्जा के साथ अपने वर्तमान से आबद्ध बने रहते है!
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